. 10वीं क्लास की लड़की की प्रेम कहानी – love At school age - Sab Achha

10वीं क्लास की लड़की की प्रेम कहानी – love At school age

10 वीं क्लास की लड़की की प्रेम कहानी – "पहला एहसास"

परिचय

प्यार एक ऐसा जज़्बा है, जो बिना किसी उम्र, सरहद या मंज़िल के, दिल में अपनी जगह बना ही लेता है। यह कहानी है 10वीं क्लास की एक मासूम और होशियार लड़की, आराध्या की, जिसे पहली बार किसी के लिए कुछ खास महसूस हुआ। वह समझ नहीं पा रही थी कि ये दोस्ती से ज्यादा कुछ है या बस एक पल का एहसास। लेकिन जब दिल तेज़ी से धड़कने लगे और किसी का ख्याल हर वक्त दिलो-दिमाग पर छाया रहे, तो समझ लेना चाहिए कि यह सिर्फ एक एहसास नहीं, बल्कि "पहला प्यार" है।

आराध्या स्कूल की होशियार छात्रा थी। उसकी दुनिया किताबों और पढ़ाई तक ही सीमित थी। घर में माता-पिता ने बचपन से यही सिखाया था कि पढ़ाई सबसे ज़रूरी है। दोस्त कम थे, और किसी लड़के से दोस्ती तो दूर की बात थी।

लेकिन ज़िंदगी कब किसे मिलाएगी, यह कोई नहीं जानता।


10वीं क्लास की शुरुआत में उनकी क्लास में एक नया लड़का आया—आरव। उसका आत्मविश्वास, उसकी हँसी, और सबके साथ घुलमिल जाने की अदा कुछ अलग ही थी। पहले दिन जब टीचर ने उसका इंट्रोडक्शन करवाया, तो पूरी क्लास में हलचल मच गई। कुछ लड़कियाँ पहले ही उसकी फैन हो चुकी थीं, और लड़के भी उसकी पर्सनैलिटी से इंप्रेस थे। लेकिन आराध्या ने इन सब बातों में ज्यादा ध्यान नहीं दिया।


एक दिन मैथ्स की क्लास में, आरव को किसी सवाल में दिक्कत आई। टीचर ने आराध्या से कहा कि वह उसे समझाए। जैसे ही वह उसके पास बैठी और सवाल समझाने लगी, आरव ने उसकी ओर देखा। उसकी आँखों में गहरी मासूमियत थी, और जब वह मुस्कुराया, तो जैसे आराध्या का दिल एक पल के लिए रुक गया।


समय के साथ, आरव और आराध्या की दोस्ती होने लगी। ग्रुप स्टडी के बहाने, प्रोजेक्ट्स पर साथ काम करने के बहाने, दोनों ज़्यादा से ज़्यादा समय एक-दूसरे के साथ बिताने लगे।

आराध्या को समझ नहीं आ रहा था कि यह सिर्फ दोस्ती है या कुछ और? जब भी वह आरव को किसी और लड़की के साथ हँसते हुए देखती, तो उसके दिल में हल्की-सी जलन होती। जब आरव स्कूल न आता, तो पूरा दिन अधूरा-सा लगता।

वो समझ चुकी थी कि यह सिर्फ एक दोस्ती नहीं रही।


एक दिन स्कूल ट्रिप पर जाना था। बस में सीट कम थीं, और ज्यादातर बच्चे पहले ही सीट पर बैठ चुके थे। आराध्या खड़ी थी, और आरव ने उसे अपनी सीट ऑफर की।

"तुम बैठो," उसने मुस्कुराकर कहा।

"लेकिन तुम खड़े रहोगे?"

"तुमसे ज्यादा ताकतवर हूँ, सह लूंगा," आरव ने हल्का-सा मज़ाक किया।

इस छोटे से इशारे ने आराध्या के दिल को छू लिया। यह पहली बार था जब उसने खुद से कबूल किया—"हाँ, मैं आरव को पसंद करने लगी हूँ।"


स्कूल खत्म होने के बाद, एक दिन आरव ने उसे रोका।

"आराध्या, क्या मैं तुमसे कुछ पूछ सकता हूँ?"

"हाँ, पूछो," उसने थोड़ा घबराते हुए कहा।

"तुम मुझसे दूर क्यों भागती हो?"

"ऐसा तो कुछ नहीं है..." उसने नजरें चुरा लीं।

"मुझे लगता है कि तुम भी मुझे पसंद करने लगी हो," आरव ने मुस्कुराते हुए कहा।

आराध्या का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। वह चुप रही, लेकिन उसकी आँखों ने उसके दिल का हाल बयां कर दिया।

"डरो मत, मैं तुम्हें कभी किसी मुश्किल में नहीं डालूंगा," आरव ने कहा।


कुछ दिनों तक सब कुछ सपने जैसा लगा। दोनों ने एक-दूसरे को बिना कहे ही समझना सीख लिया था। लेकिन हकीकत जल्द ही उनके सामने आ गई।

एक दिन आराध्या के पापा ने उसे आरव से बात करते देख लिया।

"आराध्या, ये क्या हो रहा है?" उनकी आवाज़ में सख्ती थी।

"कुछ नहीं, पापा... बस स्कूल का काम था।"

"तुम्हें पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए, न कि इन सब चीजों में उलझना। 10वीं का साल बहुत अहम होता है।"


उस दिन पहली बार उसे एहसास हुआ कि समाज और परिवार की नजरों में इस उम्र का प्यार सिर्फ एक भटकाव माना जाता है।

आरव ने कहा, "अगर हमारा प्यार सच्चा है, तो हमें इसे ज़िम्मेदारी से निभाना होगा। पहले पढ़ाई, फिर प्यार।"


सीख

आराध्या और आरव ने तय किया कि पहले वे अपनी पढ़ाई और करियर पर ध्यान देंगे। प्यार कोई गलती नहीं होती, लेकिन इसे सही तरीके से निभाना बहुत ज़रूरी होता है।

वो दोनों आज भी दोस्त थे, लेकिन अब उनका प्यार एक नई परिभाषा ले चुका था—एक-दूसरे के सपनों का सहारा बनने की परिभाषा।


मोरल ऑफ द स्टोरी

"सच्चा प्यार वह होता है जो न सिर्फ दिलों को जोड़ता है, बल्कि ज़िंदगी को बेहतर बनाने में मदद करता है।"

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