. पुरानी परंपराएँ और उनके वैज्ञानिक तथ्य – 4 Motivational story - Sab Achha

पुरानी परंपराएँ और उनके वैज्ञानिक तथ्य – 4 Motivational story

पुरानी परंपराएँ और उनके वैज्ञानिक तथ्य – एक प्रेरणादायक कहानी” 

हमारे भारत देश में परंपराएँ तो जैसे ज़िंदगी का हिस्सा हैं, क्यों की कितने सारी परम्पराएं है। कुछ लोग इन्हें “अंधविश्वास” मानते हैं, तो कुछ लोग दिल से निभाते हैं, जैसे की मर जायेंगे लेकिन पुरानी परंपराएँ को नहीं भूलेंगे । पर क्या कभी सोचा है  की इन परंपराओं के पीछे कोई विज्ञान भी हो सकता है????

आज मैं आपको एक छोटे से गाँव रामपुर  कहानी सुनाने वाला हू , जहा एक वैज्ञानिक आरव और उसकी दादी के बीच कुछ ऐसा हुआ जिसने उसके देखने का नजरिया ही बदल दिया।

                                                                    



🌞 गाँव का वैज्ञानिक

आरव पढ़ा-लिखा लड़का था। उसकी सोच बहुत अलग थी। जब वो गाँव आता, तो हमेशा अपने दादा-दादी से कहता, .... दादी, ये सब तो पुराने जमाने की बातें हैं… आज के दौर में इनका क्या मतलब?

दादी बस मुस्कुरा देतीं। एक दिन उन्होंने कहा, ... अगर तुम मेरी एक बात मानो, तो मैं तुम्हें दिखाऊँगी कि हमारी परंपराएँ अंधविश्वास नहीं, बल्कि विज्ञान हैं, विज्ञान।

आरव को थोड़ा मज़ा आने लगा , उसने सोचा, चलो देखते हैं दादी क्या साबित करती हैं, पूरा दिन में कई सारी बाते होती है , उसके क्या विज्ञानं है। 



आरव देर रत तक पढ़त था , इसलिए वो सुबह देर से उठता था।  अगली सुबह आरव उठा तो देखा, दादी तांबे के कलश में पानी को लेकर सूर्य को चढाने लगी थीं।

आरव हँसते हुए बोला,,, दादी, सूर्य को जल चढ़ाने से क्या फायदा होता है???

दादी ने कहा , जब हम पानी को सूर्य की किरणों के सामने रखते हैं, तो वो किरणें पानी से आरपार होकर हमारी आँखों और शारीर पर पड़ती हैं। इससे विटामिन D मिलता है और आँखों की रोशनी भी बढ़ती है। तांबे के बर्तन का पानी तो खुद शुद्ध होता है।

आरव थोड़ा चौंक गया। उसे पहली बार लगा कि ये सिर्फ पूजा नहीं, कुछ विज्ञानं भी है।

☀️तो ये था  पहला रहस्य – सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा क्यों है ??



दोपहर को आरव ने देखा की। ...  दादी तुलसी के पौधे के आगे दीपक जला रही थीं।

वो फिर बोला दादी, रोज़ तुलसी की पूजा क्यों करती हैं?

दादी मुस्कुराईं, तुलसी सिर्फ पौधा नहीं, एक औषधि है बेटा। ये हवा को साफ करती है, बैक्टीरिया को मारती है और शरीर की इम्युनिटी बढ़ाती है। पहले जमाने में हर घर में तुलसी इसलिए लगाई जाती थी। आज के ज़माने में भी पौधे लगाने चाहिए। 

🌿 तो ये था दूसरा रहस्य – तुलसी की पूजा क्यों करते हैं?



शाम को मंदिर में दादी ने उसके माथे पर चंदन का तिलक लगाया।
आरव बोला, अब ये भी कोई जरूरी है क्या???

दादी हँस पड़ीं बेटा, माथे पर ‘अजना चक्र’ होता है जो मन की शांति से जुड़ा है। चंदन ठंडक देता है, केसर या कुमकुम से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। ये सिर्फ धार्मिक नहीं, वैज्ञानिक भी है।

आरव बस सोच में पड़ गया दादी तो सच में काफी विज्ञानं के बारे में जानती है /

🕉️ तो ये था तीसरा रहस्य – माथे पर तिलक क्यों लगाते हैं??



शाम को घर [इ महेमान आए दादी बोली बेटा नमस्ते करो वो भी हाथ को  जोड़कर। ... बेटा बोलो नमस्ते करू लेकिन हाथ को जोड़कर ही क्यों करना चाहिए ?

दादी ने कहा, जब हम नमस्ते करते हैं, तो उंगलियों के अकुप्रेशर पॉइंट्स एक्टिव होते हैं। इससे दिमाग और इम्यूनिटी दोनों बेहतर होती हैं। और सोचो , नमस्ते में किसी को छूना नहीं पड़ता, तो बीमारी भी नहीं फैलती, ये तुम्हरे मॉडर्न संस्कार से तो अच्छा है ना ।

अब आरव को समझ में आ गया था — हर परंपरा के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक सोच है।

🙏 तो ये था चौथा रहस्य – नमस्ते करने का विज्ञान ???



इन सभी बातो से पता चलता  है की हमारी भारतीय परंपराएँ सिर्फ मान्यताएँ नहीं हैं, बल्कि उनमें गहरी विज्ञानं  छुपा हुआ है. 

अगर हम इन्हें सही तरह से समझें, तो ये हमारे स्वास्थ्य, समाज और प्रकृति — तीनों के लिए फायदेमंद हैं।
कभी-कभी पुराने लोग बेवजह सख्त नहीं होते, बल्कि उनके पास अनुभव का खजाना होता है।

💬 लोग ये सब पूछते है ?
Q1: क्या सूर्य को जल चढ़ाने से सच में फायदा होता है?
👉 हाँ, इससे विटामिन D बढ़ता है और आँखों को राहत मिलती है।
Q2: तुलसी की पूजा का वैज्ञानिक कारण क्या है?
👉 तुलसी हवा को शुद्ध करती है और शरीर को बीमारियों से बचाती है।
Q3: तिलक लगाने से क्या होता है?
👉 यह दिमाग को ठंडक देता है और ब्लड सर्कुलेशन बेहतर करता है।
Q4: नमस्ते का क्या फायदा है?
👉 इससे हमारे अकुप्रेशर पॉइंट्स एक्टिव होते हैं और संक्रमण का खतरा कम होता है।


हमारे ब्लॉग में ऐसी ही जानकारी आपको मिलेगी जिससे आपको बहुत फायदों होने वाला है , जरूर से पढ़े। 

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